
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ऐलान किया कि शिपिंग मंत्रालय का नाम बदलकर मिनिस्ट्री ऑफ पोर्ट्स, शिपिंग एंड वाटरवेज रखा जाएगा। वह सूरत के हजीरा से भावनगर के घोघा के बीच रो-पैक्स फेरी सेवा की शुरुआत के मौके पर बोल रहे थे। पीएम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस फेरी सेवा की शुरुआत की। इस फेरी सेवा के शुरू होने से दोनों शहरों के बीच की 370 किलोमीटर की सड़क की दूरी घटकर समुद्री मार्ग से 90 किलोमीटर रह जाएगी।
आत्मनिर्भर भारत अभियान में महत्व हिस्सा बनकर उभरा समुद्री क्षेत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश का समुद्री क्षेत्र एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में उभरकर सामने आया है। इन प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए ही सरकार ने शिपिंग मंत्रालय का नाम बदलने का फैसला किया है। पीएम ने कहा कि अधिकांश विकसित देशों में शिपिंग मंत्रालय पोर्ट्स और वाटरवेज से जुड़े कार्य करता है। भारत में भी शिपिंग मंत्रालय पोर्ट और वाटरवेज से जुड़े कई कार्य करता है। इसीलिए नाम में स्पष्टता लाने के लिए यह बदलाव किया गया है।
गुजरात में कई प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज गुजरात में समुद्री कारोबार से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और कैपेसिटी बिल्डिंग पर तेजी से काम चल रहा है। जैसे गुजरात मेरीटाइम क्लस्टर, गुजरात समुद्री विश्वविद्यालय, भावनगर में CNG टर्मिनल, ऐसी अनेक सुविधाएं गुजरात में तैयार हो रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार का प्रयास, घोघा-दहेज के बीच फेरी सर्विस को भी जल्द फिर शुरू करने का है। इस प्रोजेक्ट के सामने प्रकृति से जुड़ी अनेक चुनौतियां सामने आ खड़ी हुई हैं। उन्हें आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
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समुद्री व्यापार-कारोबार के लिए एक्सपर्ट तैयार करेगी गुजरात मेरीटाइम यूनिवर्सिटी
प्रधानमंत्री ने कहा कि समुद्री व्यापार-कारोबार के लिए ट्रेंड मैनपावर की आवश्यकता है। गुजरात मेरीटाइम यूनिवर्सिटी इसके लिए एक्सपर्ट तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि इस यूनिवर्सिटी में समुद्री कानून और अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून की पढ़ाई से लेकर मेरीटाइम मैनेजमेंट, शिपिंग और लॉजिस्टिक्स में MBA तक की सुविधा मौजूद है।
वाटर ट्रांसपोर्ट के जरिए कम किया जा सकता है लॉजिस्टिक्स खर्च
पीएम ने कहा कि सामान को देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में ले जाने पर दूसरे देशों की अपेक्षा हमारे देश में आज भी ज्यादा खर्च होता है। वॉटर ट्रांसपोर्ट के जरिए लॉजिस्टिक्स खर्च को कम किया जा सकता है। इसलिए हमारा फोकस एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने पर है जहां कार्गो का आसानी से आवागमन हो सके।
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