
मजबूत वैश्विक संकेतों के कारण बाजार में बीते एक महीनों में शानदार रिकवरी देखने को मिली है। इसकी बड़ी वजह अमेरिका में बड़े राहत पैकेज की खबर और बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का भारी निवेश है। अक्टूबर माह में बाजार में FII द्वारा कुल 2.5 बिलियन डॉलर (18.54 हजार करोड़ रुपए) का निवेश किया गया। जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने इसी दौरान 2.4 बिलियन डॉलर (17.80 हजार करोड़ रुपए) बाजार से निकाले।
DII ने बाजार से निकालें पैसे
बाजार की बढ़त को एक तरफ विदेशी निवेश और खबरों से मजबूती मिली, तो दूसरी ओर घरेलू निवेशकों ने बाजार से पैसे निकालें। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेस के मुताबिक DII द्वारा बाजार से रकम निकासी का यह स्तर मार्च 2016 के बाद से अब तक का सबसे निचला स्तर है। मार्च 2016 में घरेलू निवेशकों ने 16,891 करोड़ रुपए निकाले थे। इसी दौरान विदेशी निवेशकों ने 24,201.51 करोड़ का निवेश किया था।
मार्केट कैप में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
शुक्रवार को बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप पहली बार रिकॉर्ड 163.60 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। वहीं, निफ्टी मिड कैप 100 का मार्केट कैप अपने उच्चतम स्तर से अभी भी 24% नीचे है, जो उसने दिसंबर 2019 को टच किया था।
अमेरिका में चुनाव से ऊपर की ओर भागे बाजार
हफ्ते में लगातार बढ़त के चलते शुक्रवार को बीएसई सेंसेक्स 41,893 के स्तर पर बंद हुआ है। यह अपने उच्चतम स्तर 42,059.45 के करीब पहुंच गया है। सेंसेक्स ने रिकॉर्ड हाई के इस स्तर को इसी साल 16 जनवरी के टच किया था। इसके अलावा निफ्टी भी 12,263 स्तर पर बंद हुआ है।
हफ्तेभर में निवेशकों को मिला शानदार रिटर्न
अमेरिकी प्रेसिडेंशियल इलेक्शन के नतीजे साफ न होने और रुझानों में जो बाइडन के आगे होने खबर से ग्लोबल मार्केट में भी तेजी है। इसी कारण भारतीय शेयर बाजार की बढ़त को सहारा मिल रहा है। अमेरिकी चुनाव का ही असर है कि सेंसेक्स इस हफ्ते 2279 अंक और निफ्टी 622 अंक ऊपर आ गया है। नवंबर माह में अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 8,529.54 करोड़ रुपए का निवेश किया है। जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 3,851.20 करोड़ रुपए बाजार से निकाले हैं।
फेस्टिव सीजन का असर
रिपोर्ट के मुताबिक जिन कंपनियों का बिजनेस मॉडल महामारी के कारण प्रभावित हुआ था, उन्होंने पिछले शानदार प्रदर्शन किया। दूसरी ओर, फेस्टिव सीजन के कारण डिमांड में बढ़त देखने को मिला, जिससे डिमांड रिकवरी पर कॉर्पोरेट कंमेंट्री पॉजिटिव रही। इसके अलावा वित्त वर्ष 2020 की पहली छमाही के मुकाबले वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में लीवरेज और कैश फ्लो में भी सुधार है।
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